पेड़ो पर बहुत घोंसले देख लिए अब हर एक के दिल में घोसला बनाना है।
बचपन में गौरैया को अपने घर के आसपास घोसलों में देखता तो भी गलियारे में खड़ा हो कर झुंड को उड़ते हुए देखता और तोते को टाये टाये करते सुनता। लगता है बचपन के साथ इन् का भी दौर गुज़र गया। आज हम इतने व्यस्त हो हुके है की अपने नन्हे परिंदों पर कभी ध्यान ही नहीं दिया। आज ये विलुप्त होने के कगार पे है।
अपने प्रकर्ति के लिए कुछ आभार व्यक्त करे और इन् नन्हे दोस्तों की मदद करे। हमारा एक छोटा सा प्रयास इन्हें जीवन प्रदान कर सकता है। एक नन्हा सा घर या बाग़ में इनके लिए जगह और दाना पानी रखे, शायद इतना तो हम कर ही सकते है।
मैंने तो शुरुआत कर दी है, अब आप भी करें। दिल को सुकून मिलेगा और इन्हें सहारा।
आज मेरे घर जब गौरैया आती है तो मानो बचपन की मुस्कान लौट आयी।
जरुरी नहीं खुशियाँ पाने के लिए हम उन्हें घर पे खरीद के रखले, कुछ खुशियाँ तितलियों के समान होती है, बस उन्हें निहारते रहे - ये आपके मन को छुलेंगी और दिल में घोसला बना जाएँगी।
हमारे नन्हे दोस्तों की मदद के लिए कुछ संस्थाए आगे आयी हैं -ये हमारा काम और आसान कर रही है।
-अंकुर शरण