
हमारा गुस्सा हमारी इन्द्रियों को वश में कर के नाजाने हम से

अब परेशान व्यक्ति ना ख़ुद खुश होगा और ना ही दुसरो को रख सकेगा। खुशी क्या है यह आज बहुतो को नही पता। है ना ये भी एक परेशानी की बात। जिस चीज को हम खोज रहे है, हमे ख़ुद नही पता की हम क्या खोज रहे है और क्यों खोज रहे है क्योंकि जो चीज हमारे भीतर में है, उसे हम बाहर से कैसे प्राप्त कर सकते है।
आज सबसे बड़ी भूल हम यही करते है, की हम ख़ुद से duur होते ja रहे है। हमे नही पता हम क्या करना चाहते है। हमे नही पता जिस चीज को हम अपने जीवन में shaamil करना चाहते है, वो हमारे लिए उचित भी है या नही।
ऐसे कई sawal हमे humesha से घेरे रहते है और हम है की बस panno की तरह, jevan के दिन palte जा रहे है। जिनको इतिहास बनाना था वो तो banaa दिए। अब हमारी bari है। हमे khud पर यकीन करना होगा, हमे ख़ुद की एक अलग पहचान banani होगी। हमे ख़ुद से उन baato को puchna होगा, की हमारा दिल और हमारा मन क्या कहता है।
जब आप ख़ुद से बात करना सीख लेते है, तो ख़ुद-ब- ख़ुद आपको अपने सही ग़लत का अंदाजा हो जाता है।दुसरो के गिरेबान में झाकना बेहद आसान है, बस गिरेबान में झाकने की हिम्मत किसी किसी में ही होती है। शायद यही जिंदगी के सुलझे उन्सुल्जे पहलु है, जिन पर हमारा ध्यान बहुत देर बार जाता है। कुछ मुह से कह देते है तो कुछ जीवन की आशा बनाये रखते है की सब कुछ ठीक हो जायेगा।
मैं भी उन् दुसरे लोगो में से हु जो आशा का साथ हमेशा रखते तो है पर आशा से अधिक कोशिशों में विश्वास रखते है। ख़ुद कुछ भी नही होता, आप की लगन, आपकी सकारात्मक सोच ही आप का पथ निर्धारित करती है।
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