Wednesday, March 20, 2013

विचारों के बीज



आप जिन चीज़ों   को सबसे ज्यादा बार सोचते है या विचार रखते है, वो एक न एक दिन आप के पास होती है। कुछ उसी अवस्था में और हो सकता है उससे कंही ज्यादा। इन् पंक्तियों को पढ़ा था और इन्हें होता देख यकीं हो गया।

मुझे पेड़ पौधे से बड़ा लगाव है, शायद मेरे नाम का असर भी हो सकता है। बचपन में ननिहाल जाता तो पूरी छत रंग बिरंगे  फूलों  से सजी रहती। अक्सर गर्मी की छुट्टियों में जाना होता था, दिल उन् बाग़ के  फूलो को देख कर  खुश हो जाया करता और आज  भी मैं  गलियारे में उन् रंगों को समेट रखा हूँ ।

किसी काम को करना  है तो   लगन बहुत जरुरी है। जब कुछ चाहत मन में  होती  है  तो  अपने  आप  राहे  मिल  ही जाती है। हमारे निवास से कुछ दूर एक घर के बारे में सुना था, उनका बाग़ बहुत खूबसूरत है, बस मन के आगे किसका बस चला - चल दिए। बेहद खूबसूरती के साथ बाग़ को सज़ा रखा था।

मन  में इक्षा हुई की मैं उन् ज़नाब से मिलु, पर वो तब घर पे मौजूद ना थे। खैर कुछ तस्वीरे खिंची और घर चल दिए। अपने गमलो को देखता तो कभी क्यारियों को। समय के साथ उन्हें भी सवारने लगा। एक सुखद आनंद मिलता है जब आप हरे भरे पौधों को निहारते हो, वाकई में जान भर देते है ये नन्हे दोस्त मेरे।

फिर क्या था, एक और सपना अंकुरित हुआ और एक साल बाद मुझे एक बाग़ प्रदर्शनी के दौरान सम्मानित किया गया। जिन ज़नाब से मैं पहले नहीं मिल पाया, उन्हें प्रथम स्थान मिलते हुए देखा और मैंने उन्हें बधाई देते हुए धन्यवाद दिया। मेरे इस खास दिन का श्रेय, निसंदेह  उन्हें भी  जाता है।


अखबार में नाम प्रकाशित हुआ, एक सुन्दर  सी ट्रोफी मिली जिसे देख कर  परिवार जनों और मित्र बंधुओं को ख़ुशी मिली और मुझे एक सुकून क्योंकि अब कई और  सपने भी तो साकार करने है।

गलियारे में एक सीख भी मिली। हमे  हर उस  कार्य  में  सफलता  जरुर  मिलेगी - जिसे  हम  सच्चे मन  एवँ  सूझ - बूझ  के साथ  करते है।  मेहनत ज़रूरी है पर सही दिशा में। एक  विश्वास के साथ और  एक नए सपने को जीवंत करने के उमंग  के साथ। जीवन में  खुशियाँ  इन्ही    तरह  बटोरी  जा सकती हैं ,  खुशियाँ कंही  भी  कभी  भी  आपके  गलियारे  में आ सकती हैं, बस आशाओं के दरवाजे खोले रखे।

मेरी फुलवारी की सैर से आपको भी कुछ एहसास जरुर होगा, विचारों के बीज बस  अपने  मन  के  बाग़ में संजोते जाए -जीवन में हरियाली बनी रहेगी  ।

-अंकुर शरण

1 comment:

Sunny said...

Very nice galiyara and equally nice writing