एक जिंदगी में लोग क्या क्या कर लेते हैं , ये सवाल हमने ख़ुद से नही तो औरो के प्रति तो जरुर ही कभी सोचा होगा।
मैंने यह सवाल किसी और से नही ख़ुद से किया, की मैं आख़िर कर क्या क्या सकता हु? एक ख्वाहिश जगा राखी थी मन् में। तो मानो भीतर से आवाज आयी, बहुत कुछ बस जो दिल से चाहो उसे अपना लो। एक अंतर्मन से निकली आवाज ही मुझे मेरे सबसे गुणी साथियो से मिला पाई। मेरा "अंतर्ध्वनि" !
मैंने यह सवाल किसी और से नही ख़ुद से किया, की मैं आख़िर कर क्या क्या सकता हु? एक ख्वाहिश जगा राखी थी मन् में। तो मानो भीतर से आवाज आयी, बहुत कुछ बस जो दिल से चाहो उसे अपना लो। एक अंतर्मन से निकली आवाज ही मुझे मेरे सबसे गुणी साथियो से मिला पाई। मेरा "अंतर्ध्वनि" !
यह एक संयोग ही कह ले, की साथी मिलते रहे कदम पे कदम बढ़ते गए। एक दिल में खोज हर किसी को कुछ न कुछ पाने की होती है। मेरी भी थी एक सपने की जो मेरी तरह और भी देखते हो। मेरी तरह और भी महसूस करते हो। एक वो दिन था और एक आज का, मुझे वो साथी मिले जिनकी बदोलत मै आज अपने एक सपने को जी पा रहा हु। हमारा sangeet का सफर अपने नए राह पर निकल रहा है.
कोशिश यही करता हु की अधिक से अधिक समय अपने सारे सपनो को पुरा करने में लगाऊ। मेहनत तो होती ही है पर एक अनजाना सुकून मिलता है जब हम सब एक साथ अपने अंतर्ध्वनि से एक सुरीला माहोल बना दिया करते हैं।
अब तो बस एक जूनून सा सवार है, अपने इस जूनून को दुनिया के सामने रख दू।
राह कभी आसान नही होती वो तो मंजिल पाने तक मशक्कत करनी पड़ती है। हम सब वही कर भी रहे है, तभी शायद आज हमे एक पहचान मिल रही है। छोटे छोटे सपने अब पूरे से हो रहे है।
एक ख्वाहिश जगा राखी थी, बस उसे ही पुरा करने का जूनून है।
हमारा तो बस यही मानना है, अगर ख्वाहिश है तो उसे पुरा करे बिना बैठो नही। हम कोई सितारे नही मगर आसमान की उचाईयों का सफर अब जान गए हैं। एक सोच आपकी दुनिया बदल सकती है।
एक बार ख्वाहिश पुरी जब होती है तो उसको शब्द दे पाना मुश्किल ही नही नामुमकिन सा लगता है। हमारा दिल्ली विश्विद्यालय से जो सफर शुरू हुआ वो आज टीवी, रेडियो और अब तो इंटर नेट पर होता चला आ रहा है और अभी बहुत आगे तक जाना है। यह भी एक ख्वाहिश है और इसे पुरा करने की हम सब सम्भव कोशिश कर रहे हैं। अगर आसान नही तो नामुमकिन भी नही है, अब तक सुनते आए थे, अब देख भी लिया।
एक ख्वाहिश ही तो है.....
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